Tuesday, January 18, 2011

शायर जावेद अख्तर के जन्मदिवस के अवसर पर काव्य गोष्ठी

फरीदाबाद। हिन्दी के प्रचार-प्रसार को समर्पित साहित्यिक संस्था ‘संकल्प’ की ओर से गत वर्ष की भांति प्रसिद्ध फिल्मी गीतकार और शायर जावेद अख्तर के जन्मदिवस के अवसर पर 17 जनवरी को साहित्यकार व ‘सार्थक-प्रयास’ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एन.एल. गोसाईं के निवास पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार अमर साहनी ने की जबकि मंच संचालन महासचिव प्रदीप गर्ग ‘पराग’ ने किया।


मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद ‘पराग’ ने वंदना में ये पंक्तियां पढ़ीं -
हे मां शारदे, ज्ञान का संसार दे, हमें तार दे’।

इसके बाद बदरपुर से पधारे लाल बिहारी ‘लाल’ ने तिरंगे की शान में यूं कहा -

‘देश की आन-बान, शान है तिरंगा।


जन-गण-मन की पहचान है तिरंगा।


हर मुश्किल का समाधान है तिरंगा।’

‘संकल्प’ के अध्यक्ष जयभगवान गुप्त ‘राकेश’ ने जनाब जावेद अख्तर के बारे में संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी लंबी उमz की दुआएं कीं और उनके लिए यूं अर्ज किया -

‘जावेद रहें, भाव गंगा में बहें, यूं खूब कहें।’


एक और की फरमाइश पर ‘राकेश’ ने यूं व्यक्त किया -


‘आपसे कभी मिल न पाए तो क्या हुआ


शेरों के मिजाज से ही पहचानते हैं हम।’

मंच संचालक ‘पराग’ ने गंगा मां की पावनता पर दोहा पढ़कर सभी को प्रभावित किया -

कितनी महिमावान है गंगा-जल की धार।


भव-सागर से पार करे बनकर के पतवार।।’

एन.एल. गोसाईं ने एक कतअ में अपने दिल पर उनका नाम लिखे होने की वजह बताते हुए कहा -

अपने खत में वे मुझे सलाम लिखते हैं


हर फसाने में इक पैगाम लिखते हैं


हम तो बस इतना ही उनसे कहते हैं


अपने दिल पर तेरा ही नाम लिखते हैं।’

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रकाश लखानी ने शहीदों को याद करते हुए अपनी रचना कुछ यूं पेश की -

आजादी के लिए मिटे जो कहां गये सैनानी


आज उन्हें हम भूल गये खून हुआ क्यों पानी।’

फोन के माध्यम से गजलकारा नमिता ‘राकेश’ ने सफर की बाबत यूं जोड़ा -

गर्मी थी तेज धूप थी रस्ते बबूल थे


चलना था क्योंकि राह में दूर फूल थे।’

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार अमर साहनी ने अपना कलाम पेश करते हुए सलाह दी -

‘चंदा का ना मुखड़ा देख तू औरों का दुखड़ा देख


थोड़ा सा सच तो कह फिर लोगों को उखड़ा देख।’

अंत में सामूहिक रूप से एक बार पुन: जावेद अख्तर को जन्मदिन की बधाई देते हुए सभी ने गोष्ठी के मेजबान गोसाईं का धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया।

Monday, January 17, 2011

जब हेमा मालिनी के होंठों पर दिल का दर्द उभर आया

जी हां, यह कल की ही घटना है अवसर था ‘सोनी’ टीवी चैनल पर ‘वेव’ संस्था द्वारा ‘पल्र्स’ की सहायता से आयोजित ‘नारी शक्ति सम्मान’ के प्रसारण का। इस आयोजन में ऐसी महिलाओं को सम्मानित किया जाना गया जिन्होंने अपने जीवन में पहले ही अवसर पर कोई महान कार्य किया या पूरा जीवन ही जिन्होंने नारी उत्थान को समर्पित किया या मिला-जुलाकर दोनों तरह से महिलाओं के स्तर में सुधार के लिए आज भी जुटी हुई हैं। इस मौके पर शिवानी भाटिया, उषा सक्सेना और एक विकलांग महिला मीनाक्षी चुघ तथा किरण बेदी की तरह अपनी अथक लगन से लगातार देश की महिलाओं के जीवन स्तर में निरंतर सुधार हेतु प्रयासरत और भी अनेक महिलाओं को तो सम्मानित किया ही गया। इसके साथ ही फिल्म जगत में भी पर्दापण और उसके पश्चात लगातार अपनी मेहनत और अदायगी से महिलाओं की समस्याओं को समाज के समक्ष प्रस्तुत करने में जिन्हें महारत मिली उनमें प्रसिद्ध अभिनेत्री सायरा बानो, माधुरी दीक्षित, प्रियंका चोपड़ा व नेहा धूपिया और पहली बार फिल्मी पर्दे पर अवतरित होकर सफलता का परचम फहराने के लिए सोनाक्षी सिन्हा को भी इस अवसर पर उनकी अनुपस्थिति में उनकी माता पूनम सिन्हा के माध्यम से पुरस्कृत किया गया।

जब यह समारोह चल रहा था तब सभी देख रहे थे कि अगली पंक्ति में बैठी हुई फिल्म जगत की सफलतम नायिका और आज भी व्यस्तम अभिनेत्री व निर्माता-निर्देशिका हेमा मालिनी बराबर उदास दिखाई दे रही थीं। हालांकि वे हर पुरस्कार पर करतल ध्वनि द्वारा अपनी उपस्थिति और सकिzयता निरंतर दर्ज करा रहीं थीं लेकिन जैसा कि फिल्मी गीत है ‘दिल की बात बता देता है आपका अपना चेहरा, लाख छुपाओ छुप न सकेगा राज हो कितना गहरा’, उनका चेहरा उनका साथ नहीं दे पा रहा था। यह राज तब खुला जब वे पुरस्कार हेतु अपने नाम के लिए पुकारे जाने पर मंच पर आईं और थोड़ी देर के लिए उनकी उदासी भी गायब हुई और उन्होंने अंगzेजी भाषा में अपने भाव व्यक्त करने शुरू किए।

उन्हें पुरस्कार देने के लिए बुलाया गया था उनके कई फिल्मों में निर्माता-निर्देशक रह चुके रमेश सिप्पी को। तब बातों ही बातों में पुरस्कारों की बात चली तो हेमा मालिनी ने कह ही दिया कि उन्हें बड़ी खुशी है कि आज उन्हें इस स्तर सार्वजनिक मंच पर दूसरी बार ¼पहली बार उन्होंने अपना पुरस्कार जब ‘शोले’ के लिए बताया तो रमेश सिप्पी भी चुप न रह सके और उन्होंने भी अपना व्यथित स्वर उनके स्वर में मिलाते हुए कह डाला कि ‘शोले’ के लिए तो उन्हें आज तक पुरस्कार नहीं मिला तो आपको ¼हेमा मालिनी½ कहां से मिलता, वह पुरस्कार तो उन्हें ‘सीता और गीता’ के लिये दिया गया था½ मिला है और वे इसके लिए अत्यंत आभारी हैं, शुक्रगुजार हैं तो मंच संचालिका मोना सिंह ने उनके दर्द को भांपते हुए कह ही दिया कि इतनी बड़ी फिल्म अदाकारा को उदास नहीं होना चाहिए हम उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि उनकी प्रतिभा का सही और भरपूर मूल्यांकन होगा।

यह बात वैसी ही थी जैसी चचा गालिब ने अपने शेर में कई बार दोहराई - ‘हमको मालूम है जनन्त की हकीकत लेकिन, दिल के बहलाने को गालिब ख्याल अच्छा है’। लगे हाथ पाठकों को याद दिला दें कि इसी अदाकारा के पतिदेव व प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेन्दz ने भी मंच से कई साल पहले एक रहस्योद~घाटन करते हुए अपने दिल के फफोले दिखाये थे यह कहकर वे पिछले 35 साल से आज के दिन हर साल अपना नया सूट सिलाकर इसलिए तैयार रखते थे कि शायद इस साल उनका पुरस्कार में नाम आ जाये। मगर नाम था कि ‘ज्वैलथीप’ के हीरो की तरह आगे ही आगे निकलता जाता था।

वाह ही फिल्म नगरी, जिन्हें देखकर उनकी कामयाबी और प्रतिष्ठा से लोग तेरी तरफ भागते हैं वे ही कबीर के शब्दों को ‘मोहे सुण सुण आवे हांसी जल विच मीन प्यासी’ को चरितार्थ करते हुए इस मायानगरी के माया-जाल में फंसकर किस कदर मायूस और मजबूर हैं यह हकीकत कभी-कभी बड़े उदास माहौल में इसी तरह की महफिलों में उभरकर आती है। वाकई बुजुर्गों की वह बात याद आती है कि ‘जो घर ना देखा वही अच्छा है, वरना तो घर-घर की कहानी सब जगह एक ही है’।

हम ईश्वर से दुआ करते हैं कि रमेश सिप्पी और अदिव~तीय सिने तारिका हेमा मालिनी की हसरतें अवश्य पूरी हों ताकि उन्हें देखकर अपने सपने संवारने वालों की तरह वे भी सचमुच में ‘ड्रीम गर्ल’ कहलाती रहें।