Wednesday, May 1, 2013

गायकी के शहंशाह मन्ना डे


भारतीय फिल्म जगत के पाश्र्व गायक मन्ना डे आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। सभी जानते हैं कि 100 साल पूरी कर चुका फिल्म उद्योग के प्रारंभिक सितारों को आवाज देने वालों में मन्ना डे का भी अहम स्थान है। अपने चाचा के.सी. डे के गाये हुए भजनों को सुनकर बड़े हुए प्रबोध चंद डे - असली नाम - को भी गाने की इच्छा जागी और अपने चाचा से ही गायकी की तकनीक सीख कर गायन शुरू करने वाले मन्ना डे साहब आजकल कोई गीत नहीं गा रहे हैं जबकि अपने समय में उन्होंने गायकी की कोई भी विध ऐसी नहीं छोड़ी जिसमें उन्होंने महारत हासिल न की हो या अपना सिक्का न जमाया हो।
शुरू के गीतों में उन्होंने ‘देख कबीरा रोया’ फिल्म में अनूप कुमार को अपनी आवाज देकर ‘कौन आया मेरे मन के द्वारे’ उसे भी अमर कर दिया और खुद भी आज तक उस गीत के कारण अच्छा नाम पैदा कर लिया। राजकपूर के लिए उन्होंने फिल्म ‘चोरी-चोरी’ और फिल्म ‘श्री 420’ में लता मंगेशकर के साथ दोगाने तो गाए ही एकल गीत भी ‘दिल की बात सुने दिलवाला’ गाकर अभिनेता जाय मुखर्जी को भी अपना दीवाना बना लिया।
यूं मन्ना डे किसी एक की आवाज नहीं बने बल्कि जहां भी और जिस भी संगीतकार ने उन्हें अपने संगीत पर गाने का अवसर दिया या आजमाया वहां-वहां ही उन्होंने अपने फन के जौहर दिखाए और उनके संगीत में चार चांद लगाए। स्थायी रूप से जुड़ने वाले संगीतकारों एसडी बर्मन, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, ओपी नैययर, कल्याणजी-आनंद जी, हेमंत कुमार, मदनमोहन व रवि आदि के नाम प्रमुख हैं, लेकिन इसके अलावा भी उन्होंने अनेक नवागंतुक व इन्हीं संगीतकारों के सहयोगी रहे अनेक बंधुओं के लिए भी अपनी आवाज उसी शिददत और ईमानदारी से पेश की कि उनके द्वारा बनाई गई धुनें भी कामयाबी के साथ मन्ना डे के खाते में दर्ज हुईं।
यद्यपि मन्ना डे को अधिकतर शास्त्रय संगीत और भजन गाने वाले गायक के रूप में अधिक जाना जाता है, लेकिन इससे हटकर भी उन्होंने अनेक चुनौतीपूर्ण रचनाएं भी पेश की हैं और कुछ रचनाएं तो ऐसी गायी हैं जिनके लिए कहना मुश्किल हो जाता है कि उन रचनाओं ने मन्ना डे को प्रसिद्ध किया है, विख्यात बनाया है या मन्ना डे ने उन गीतों को गाकर अमर कर दिया है।
अभिनेता प्राण के लिए फिल्म ‘उपकार’ में मलंग के रूप में उनके द्वारा पेश किया गया मन्ना डे की आवाज में यह गीत ‘कसमे वादे प्यार वफा सब-बातें हैं बातों का क्या’ या फिल्म ‘जंजीर’ में ‘यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी’ की अदायगी ने अभिनेता प्राण को स्थायित्व व अमरत्व प्रदान करने में महत्ती भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं खलनायक से चरित्रा अभिनेता बनने का आधारभूत बिन्दू भी यही दो गीत हैं, जिसके बाद प्राण को विलेन के रोल कम और चरित्रा अभिनेता के रोल अधिक मिलने लगे।
प्रो. बलराज साहनी के लिए भी मन्ना डे ने फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ में ‘धरती कहे पुकार के’ से लेकर फिल्म ‘एक फूल दो माली’ में ‘मेरा नाम करेगा रौशन जग में मेरा राजदुलारा’ और फिल्म ‘वक्त’ में तो मन्ना डे साहब ने साहिर लुधियानवी की दिलकश ‘ऐ मेरी जौहराजबीं’ गाकर उन्हें फिर से जवान बना दिया था। हास्य अभिनेता महमूद की तो मन्ना डे साहब मानो आवाज ही बन गए थे और एक-दूसरे के पूरक और पर्यायवाची हो गए थे। फिल्म ‘जिद~दी’ का ‘फिर क्यों जलाती है दुनिया मुझे’ अथवा फिल्म ‘नीलकमल’ का ‘खाली डब्बा खाली बोतल’ या फिल्म ‘चित्रालेखा’ का ‘कैसी जुल्मी बनाई तूने नारी’ या फिर फिल्म ‘औलाद’ का ‘जोड़ी हमारी जमेगा कैसे जानी’ जैसे अनेक गीत दोनों की फिल्मी टयूनिंग को आज भी पर्दे पर साकार करके वाहवाही लूटते हैं। जबकि सभी जानते हैं कि फिल्म ‘पड़ोसन’ में महमूद, किशोर कुमार और मन्ना डे के अद~भुत करिश्मे ने ही ‘पड़ोसन’ को सदाबहार फिल्म का दर्जा दिलवा दिया। ‘इक चतुर नार करके सिंगार’ वाला गीत आरडी बर्मन के संगीत निर्देशन में इतना विस्मयकारी और चमत्कृत करने वाला है कि शादी-ब्याह के समारोहों में आर्केस्ट्रा वालों की ओर से इसकी प्रस्तुति एक विशेष उपलब्धि मानी जाती है और इसके बिना संगीत के कार्यक्रम फीके-फीके से लगते हैं।
पौराणिक और देशभक्ति के गीतों में मन्ना डे साहब का कोई सानी नहीं, वे लाजवाब हैं और चिरस्मरणीय भी। देश में जब भी राष्ट्रीय समारोहों का आयोजन होता है मन्ना डे साहब सबसे ज्यादा गूंजते हैं और पूरे देश में उनकी आवाज आकर्षण के साथ सुनी जाती है। फिर चाले फिल्म ‘तलाक’ का ‘ए भारत माता के बेटों’ वाला गीत हो या फिल्म ‘काबुलीवाला’ का ‘ए मेरे प्यारे वतन’ हो या फिल्म ‘बंदिनी’ फिल्म का वो गीत हो जो पं. जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु पूर्व का साक्षी गीत बन गया ‘मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे’।
कव्वाली और अलग तरह की विशेष विधा के गायन में भी मन्ना डे साहब ने अनेक कीर्तिमान बनाए हैं। ‘बरसात की रात’ फिल्म की ‘कारवां की तलाश’ वाली कव्वाली हो या फिर फिल्म ‘दिल ही तो है’ का ‘लागा चुनरी में दाग हो’ या फिर फिल्म ‘तीसरी कसम’ की ‘पिंजरे वाली मुनिया’ हो उनकी हर अदा दिलकश और नाज-ओ-अंदाज से इस कदर पुरलुत्फ होती है कि सुनने वाला अश-अश कर उठता है।
शास्त्रय गायन में तो उन्होंने एक अलग ही मुकाम बनाया था भले ही उन्होंने उसे मो. रफी के साथ फिल्म ‘रागिनी’ में ओपी नैय~यर के संगीत में या शंकर जयकिशन के साथ फिल्म ‘तीसरी कसम’ में मुकेश या फिर कल्याण जी आनंद जी के संगीत निर्देशन में फिल्म ‘विक्टोरिया नं. 203’ में महेंदz कपूर तथा किशोर कुमार के साथ भी अपने जौहर दिखाए और गायकी के क्षेत्रा में नाम पैदा किया। फिल्म ‘तेरी सूरत मेरी आंखें’ में भी सचिनदेव बर्मन के निर्देशन में मो. रफी और मन्ना डे के गाये हुए गीतों में आज भी एक अघोषित और अदृश्य मुकाबला दिखाई देता है लेकिन जब निर्णय की बात आती है तो जज की कुर्सी पर बैठने वालों को यही कहना पड़ता है कि दोनों ही बेहद खूबसूरत और बेमिसाल हैं।
इसके अलावा भी मन्ना डे साहब के कुछ गायन वाकई बेमिसाल हैं, जैसे संगीतकार जयदेव के निर्देशन में डा. हरिवंशराय बच्चन की ‘मधुशाला’ और रौशन के निर्देशन में ‘नई उमz की नई फसल’ में मेघराज मुकुल की ‘सेनाणी’ तथा कपिल कुमार का गैर फिल्मी गीत ‘हंसने की चाह ने कितना मुझे रूलाया है’ आज भी मन्ना डे को अप्रतिम और लासानी सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। गोपाल सिंह नेपाली का ‘नरसी भगत’ का ‘दर्शन दो घनश्याम’ जो कि लगभग आज से 60 साल पुराना है और रवि के संगीत निर्देशन में हेमंत कुमार और सुधा मल्होत्रा के साथ मन्ना डे ने पेश किया है, आज भी उसी तरह ताजा और प्रभावशाली है, जिस तरह वह पहले उस वक्त जब यह गाया गया था। इस गीत की विशेषता यह भी है कि आस्कर अवार्ड विजेता फिल्म ‘स्लमडाग मिलेनियर’ में भी इसको पेश किया गया है।
संगीतकार वसंत देसाई तथा एसएन त्रिपाठी के संगीत निर्देशन में भरत व्यास रचित उन गीतों को जिसे मन्ना डे के स्वर ने ऐतिहासिक और अमर बना दिया है, जैसे ‘निर्बल से लड़ाई बलवान की’, ‘उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा’ और फिल्म ‘नवरंग’ के संगीत निर्देशक सी. रामचंदz के लिए गाया गया गीत ‘छुपी है कहां’ को कौन भूल सकता है और दोबारा सुनने की चाह किसको नहीं होती। फिल्मी गानों के शौकीन लोग के.एल. सहगल की तरह मन्ना डे के गीतों के भी उतने ही दीवाने हैं।
संयोगवश फिल्म जगत का सर्वश्रेष्ठ दादा साहब फाल्के अवार्ड मन्ना डे को वर्ष 2007 में मिला तो अभिनेता प्राण को इसी वर्ष दिया गया है, जो वे 3 मई को प्राप्त करेंगे।