Thursday, August 22, 2013

यह क्या कह दिया नेता जी!

जुबान फिसल जाने का मुहावरा भी है और कभी-कभी मौका भी माना जाता है, जैसे विवाह या त्यौहार के अवसर पर व्यंग्य बाण चलाते हुए हंसी-ठिठोली का आम रिवाज है। उस अवसर पर कही गई बातों का न तो बुरा माना जाता है और न ही उसे दुभार्वनापूर्ण कहा जाता है। 
लेकिन ऐसे किसी भी अवसर के अभाव में अचानक कतिपय बड़े नेताओं द्वारा ऐसी बात कह देना निश्चय ही चिंता का विषय बन जाता है और ऐसा ही एक विषय स्वनाम धन्य एक बड़े नेता ने कुछ दिन पहले ही कहकर चौंकाने के साथ-साथ सोचने पर भी विवश कर दिया है। कहने वालों में उन्हीं के दल के अन्य शीर्षस्थ नेताओं ने भी उनकी बात पर बिना ध्यान दिये बल दिया है और वह शब्द है ‘काँग्रेस मुक्त भारत’। 
राजनीति में सत्ता पाना या खोना एक स्वभाविक प्रक्रिया है, जब भी एक या दो अथवा कई राजनीतिक दल सत्ता का पत्ता पाने को चुनाव लड़ते हैं तो उसमें हार-जीत की संभावना सदैव बनी रहती है जिसे बहुमत मिलता है वह सत्ताधीश हो जाता है और शेष विपक्ष की शोभा बढ़ाते हैं।
लोकतंत्रा में यह स्थिति हर बार चुनाव के पश्चात आती है और चुनाव परिणाम को जनादेश मानते हुए सभी दल शिरोधार्य करते हैं। किन्तु अबकी बार दल विशेष के एक उभरते हुए और चुनाव प्रचार के शीर्ष पर विराजमान किये गये नेता ने एक ऐसा जुमला ईजाद करके उसे चुनावी अखाड़े में लहरा दिया है जिसका अर्थ या तो वो जानबूझकर गलत लगा रहे हैं अथवा दूसरों के ज्ञान की परीक्षा लेना चाह रहे हैं।
जी हां, उनके शब्द ‘काँग्रेस मुक्त भारत’ का यह उदघोष कितना ठीक और सटीक है यह बहस का विषय तो नहीं अलबत्ता अज्ञान अथवा चिंतन का विषय अवश्यमेव है, क्योंकि अभी पिछले दिनों ही पोलियो के संबंध में उन्मूलन अभियान के अंतर्गत पोलियो मुक्त भारत का नारा दिया गया था। हो सकता है नेता जी ने इसी से प्रभावित होकर इसमें संशोधन करते हुए पोलियो की जगह अपने राजनीति में धुर विरोधी दल का नाम जोड़कर वाहवाही लूटने की कोशिश की है। किन्तु अत्यंत खेद की बात है कि जिस बात को भारतीय संस्कृति में कभी दुश्मन के लिए भी अनुपयुक्त माना गया है वह सत्ताधारी दल के लिए क्या समझकर प्रयोग कर दिया, यह समझ से परे की बात है। पाकिस्तान समेत दुश्मन देशों के लिए भी कभी ऐसा नहीं कहा गया कि संसार उनसे मुक्त हो जाये, अर्थात जो बात शत्रु के लिए भी ठीक नहीं मानी जाती वही बात एक ज्ञानी-ध्यानी नेता द्वारा सवा सौ करोड़ के देश में सवा सौ वर्ष से भी अधिक पहले की स्थापित काँग्रेस पार्टी के लिए यह कह देना कि ‘काँग्रेस मुक्त भारत’ का अभियान चलाया जाए और जनता उसमें सहयोग दे सरासर संकीर्णता और शत्रुता की भावना ग्रसित है तथा किसी भी प्रकार से न तो सुनने योग्य है और अपनाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। हां, परमात्मा अगर सदबुद्धि दे तो ऐसे उदघोष को वापिस लेकर क्षमा-याचना सहित उसे दुरुस्त करके उसका उपयोग किया जाए तो भी गनीमत ही मानी जाएगी जैसा कि हमारे यहां कहा जाता है कि सुबह का भूला शाम को भी घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते और वाकई जुबान फिसलने वाली बात समझकर शायद दूसरा दल भी दर-गुजर कर सके तो भी इसे राजनीति में एक स्वस्थ वातावरण को बनाए रखने का सदप्रयास ही माना जाएगा, वरना जिसने लटठ  बजाने की ही ठान रखी हो तो उसके लिए तो पानी किधर से भी आए वह तो कटिबद्ध रहता है उसके शुभारंभ के लिए, लेकिन ईश्वर से प्रार्थना है कि उस घड़ी से तो इस देश को राम बचाये।

Wednesday, July 24, 2013

बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का

आप सभी ने यह शे’र अक्सर सुना होगा जिसे हर बार उस वक्त दोहराया जाता है जब कोई अजूबा हो जाए यानी बात टनों की और हालात मनों के भी ना हों, तब कहा जाता है
‘‘बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो काटा कतरा ए खूं न मिला’’।
ठीक वही हाल आजकल हमारी राजनीति और राजनेताओं का हो रहा है जो एक लफ्ज बोलते हैं और सौ शब्द तोलते हैं। यानि पहले के द्वारा कुछ कहे को देर नहीं होती और सुनने वाले उसे तिल का ताड़ बनाने में जरा भी देर नहीं करते। राई का पहाड़ बनाना हो तो किसी इंजीनियर के पास जाने की जरूरत नहीं, हमारे नेताओं की जुबान काफी है। किसी की जीभ से एक पिल्ला कार के नीचे आने की बात फिसली तो यारों ने उसे खींच-खींचकर चीन की दीवार बना डाला। अरे अगर इतनी ही लंबाई बढ़ानी थी तो आज तक उन मानव हितैषी योजनाओं की क्यों नहीं बढ़ाई जो अब तक के अमीरी-गरीबी के बढ़ते हुए अंतर की खाई को पाट देती।
जिस देश में एक घंटे का मिड-डे-मील भी बिना किसी अड़चन के ठीक प्रकार खिलाया नहीं जा सकता वहां और उम्मीद क्या की जा सकती है। और जहां इसमें भी हमें विपक्ष की साजिश नजर आती है तो चूल्लु भर पानी की भी इस देश में इतनी कमी हो गई है कि वह किसी को नजर नहीं आता, न पक्ष को, न विपक्ष को। या वे भी सभी उस मुख्यमंत्राी की तरह हो गए हैं जिसे अपना प्रचार करते वक्त अपनी ही पार्टी द्वारा घोषित भावी पीएम जैसा कद~दावर नेता को ना देखना याद रहा और न ही दिखाना, क्या अनुशासन है? बलिहारी जाएं दल हो तो ऐसा और अनुशासन हो तो, तो भी ऐसा, जहां अध्यक्ष, पार्टी नेता और प्रतिपक्ष नेता सभी को दरगुजर कर बाहर की संस्था के अध्यक्ष की डांट से मसला हल होता हो।
क्या ऐसी ही प्रतिबद्धता अपे कर्तव्यों और निष्ठा अपने लक्ष्य के प्रति सीखने और सिखाने को मिलेगी नई पीढ़ी को। सत्तर साल का अनुभव और कार्यकौशल क्या केवल इसीलिए है कि पार्टी अध्यक्ष की घोषणा को मुंह से न बोलकर अपने त्यागपत्रा द्वारा मलियामेट कर दी जाए। क्या महत्वाकांक्षा की पूर्ति का यही तरीका और सलीका सीखा और सिखाया गया है कि जहां कहने से बात न बने वहां सहने की बजाय दाल-भात में मूसलचंद रहने की प्रकिzया अपनाई जाए और उस पर भी तुर्रा ये कि हम बहुत वरिष्ठ और तपोनिष्ठ हैं।
और जब कzोधवश उठाये कदम ने दुर्वासा रिषि की भांति एक बार सब कुछ नष्ट-भzष्ट होने को था तो फिर कृष्ण की भांति एक ही डांट से क्यों सकपका गए। फिर वह सारा पराकzम और अनुभवजन्य वरिष्ठता किस द्वार में समा गई? बहरहाल, सही किया जो भी किया शायद यह जनता भूल गई थी कि यह राजनीति भी  एक रंगमंच है और यहां हरेक को देर-सवेर अपना जौहर दिखाकर ही मंच पर कायम रहने का उपाय घुट~टी में पिलाया गया है, फिर चाहे कोई हजारे बनकर निष्पक्ष रूप से जनता के मोक्ष के लिए सदाचार की टोपी पहनकर अपना नाटय रूप निभाये अथावा संन्यासी बाना पहनकर रामलीला करे और मौका मिलते ही नारी छवि धारण कर पलायन में ही जीवन प्राप्त करे या फिर चिर कुमार बनकर लोगों की विशाल भीड़ एकत्रिात करके रामायण और महाभारत की महान विभूतियों के सम्मोहन और संबोधन द्वारा मानव देह की आरोग्यता को चिरस्थायी बनाने के लिए अदृश्य सम्पत्ति के फलस्वरूप मंत्रा दान दे और तंत्रा का सहारा ले नये शहर में पुन: महाकल्याण की घोषणा करे, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार महाराज युधिष्ठिर ने रथ पर बैठकर दzोणाचार्य की मृत्यु की खबर सुनाई मगर उनके संकटमोचक द्वारा शंखनाद कर उसे जनता को नहीं सुनने दिया गया।
जो भी हो अच्छा हुआ, अब तो आम जनता को यह पता लग ही गया है कि देश में कुछ दल और कुछ नेता सिर्फ इसी जुगाड़ में रहते हैं कि कब उनका और केवल उनका ही नाम सर्वोच्च पद के लिए घोषित हो और कब वे उसके अनुरूप आकर्षक साज-सज्जा धारण करके सजे-सजाये रथ पर सवार होकर किसी भी यात्राा के नाम अपना अभियान चालू करें और जनता से किसी न किसी बहाने उसकी कीमत भरपाई करने के लिए कहें।
सच यह है कि चाहे कोई भी अभियान हो, रथ यात्राा हो, बंद हो अथवा राजनीतिक द्वंद्व हो भुगतना जनता को ही पड़ता है और यही कारण है कि हर पांच साल बाद एक ही बार लुहार की चोट करने वाली जनता अब भलीभांति समझ चुकी है कि उसे कब जागृत होना है, कब करवट बदलनी है, कब उबासी लेनी है और कब खड़े होकर अपना निर्णय सुनाना है। तब तक हमारे ये महान नेतागण चाहे टीवी, रेडियो और वीडियो कान्फzेंस में तरह-तरह के कोण बनाकर अपनी छवि कितनी भी निर्मल और चमकदार बना लें लेकिन जब जनता फेसबुक पर अंतिम निर्णय अंकित करेगी तब यही शेर जिससे हमने आज का यह लेख शुरू किया था फिर उभरकर सामने आएगा जो इसी सत्य को पुन: उजागर करेगा -
‘‘बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो काटा कतरा ए खूं न मिला’’

Wednesday, May 1, 2013

गायकी के शहंशाह मन्ना डे


भारतीय फिल्म जगत के पाश्र्व गायक मन्ना डे आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। सभी जानते हैं कि 100 साल पूरी कर चुका फिल्म उद्योग के प्रारंभिक सितारों को आवाज देने वालों में मन्ना डे का भी अहम स्थान है। अपने चाचा के.सी. डे के गाये हुए भजनों को सुनकर बड़े हुए प्रबोध चंद डे - असली नाम - को भी गाने की इच्छा जागी और अपने चाचा से ही गायकी की तकनीक सीख कर गायन शुरू करने वाले मन्ना डे साहब आजकल कोई गीत नहीं गा रहे हैं जबकि अपने समय में उन्होंने गायकी की कोई भी विध ऐसी नहीं छोड़ी जिसमें उन्होंने महारत हासिल न की हो या अपना सिक्का न जमाया हो।
शुरू के गीतों में उन्होंने ‘देख कबीरा रोया’ फिल्म में अनूप कुमार को अपनी आवाज देकर ‘कौन आया मेरे मन के द्वारे’ उसे भी अमर कर दिया और खुद भी आज तक उस गीत के कारण अच्छा नाम पैदा कर लिया। राजकपूर के लिए उन्होंने फिल्म ‘चोरी-चोरी’ और फिल्म ‘श्री 420’ में लता मंगेशकर के साथ दोगाने तो गाए ही एकल गीत भी ‘दिल की बात सुने दिलवाला’ गाकर अभिनेता जाय मुखर्जी को भी अपना दीवाना बना लिया।
यूं मन्ना डे किसी एक की आवाज नहीं बने बल्कि जहां भी और जिस भी संगीतकार ने उन्हें अपने संगीत पर गाने का अवसर दिया या आजमाया वहां-वहां ही उन्होंने अपने फन के जौहर दिखाए और उनके संगीत में चार चांद लगाए। स्थायी रूप से जुड़ने वाले संगीतकारों एसडी बर्मन, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, ओपी नैययर, कल्याणजी-आनंद जी, हेमंत कुमार, मदनमोहन व रवि आदि के नाम प्रमुख हैं, लेकिन इसके अलावा भी उन्होंने अनेक नवागंतुक व इन्हीं संगीतकारों के सहयोगी रहे अनेक बंधुओं के लिए भी अपनी आवाज उसी शिददत और ईमानदारी से पेश की कि उनके द्वारा बनाई गई धुनें भी कामयाबी के साथ मन्ना डे के खाते में दर्ज हुईं।
यद्यपि मन्ना डे को अधिकतर शास्त्रय संगीत और भजन गाने वाले गायक के रूप में अधिक जाना जाता है, लेकिन इससे हटकर भी उन्होंने अनेक चुनौतीपूर्ण रचनाएं भी पेश की हैं और कुछ रचनाएं तो ऐसी गायी हैं जिनके लिए कहना मुश्किल हो जाता है कि उन रचनाओं ने मन्ना डे को प्रसिद्ध किया है, विख्यात बनाया है या मन्ना डे ने उन गीतों को गाकर अमर कर दिया है।
अभिनेता प्राण के लिए फिल्म ‘उपकार’ में मलंग के रूप में उनके द्वारा पेश किया गया मन्ना डे की आवाज में यह गीत ‘कसमे वादे प्यार वफा सब-बातें हैं बातों का क्या’ या फिल्म ‘जंजीर’ में ‘यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी’ की अदायगी ने अभिनेता प्राण को स्थायित्व व अमरत्व प्रदान करने में महत्ती भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं खलनायक से चरित्रा अभिनेता बनने का आधारभूत बिन्दू भी यही दो गीत हैं, जिसके बाद प्राण को विलेन के रोल कम और चरित्रा अभिनेता के रोल अधिक मिलने लगे।
प्रो. बलराज साहनी के लिए भी मन्ना डे ने फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ में ‘धरती कहे पुकार के’ से लेकर फिल्म ‘एक फूल दो माली’ में ‘मेरा नाम करेगा रौशन जग में मेरा राजदुलारा’ और फिल्म ‘वक्त’ में तो मन्ना डे साहब ने साहिर लुधियानवी की दिलकश ‘ऐ मेरी जौहराजबीं’ गाकर उन्हें फिर से जवान बना दिया था। हास्य अभिनेता महमूद की तो मन्ना डे साहब मानो आवाज ही बन गए थे और एक-दूसरे के पूरक और पर्यायवाची हो गए थे। फिल्म ‘जिद~दी’ का ‘फिर क्यों जलाती है दुनिया मुझे’ अथवा फिल्म ‘नीलकमल’ का ‘खाली डब्बा खाली बोतल’ या फिल्म ‘चित्रालेखा’ का ‘कैसी जुल्मी बनाई तूने नारी’ या फिर फिल्म ‘औलाद’ का ‘जोड़ी हमारी जमेगा कैसे जानी’ जैसे अनेक गीत दोनों की फिल्मी टयूनिंग को आज भी पर्दे पर साकार करके वाहवाही लूटते हैं। जबकि सभी जानते हैं कि फिल्म ‘पड़ोसन’ में महमूद, किशोर कुमार और मन्ना डे के अद~भुत करिश्मे ने ही ‘पड़ोसन’ को सदाबहार फिल्म का दर्जा दिलवा दिया। ‘इक चतुर नार करके सिंगार’ वाला गीत आरडी बर्मन के संगीत निर्देशन में इतना विस्मयकारी और चमत्कृत करने वाला है कि शादी-ब्याह के समारोहों में आर्केस्ट्रा वालों की ओर से इसकी प्रस्तुति एक विशेष उपलब्धि मानी जाती है और इसके बिना संगीत के कार्यक्रम फीके-फीके से लगते हैं।
पौराणिक और देशभक्ति के गीतों में मन्ना डे साहब का कोई सानी नहीं, वे लाजवाब हैं और चिरस्मरणीय भी। देश में जब भी राष्ट्रीय समारोहों का आयोजन होता है मन्ना डे साहब सबसे ज्यादा गूंजते हैं और पूरे देश में उनकी आवाज आकर्षण के साथ सुनी जाती है। फिर चाले फिल्म ‘तलाक’ का ‘ए भारत माता के बेटों’ वाला गीत हो या फिल्म ‘काबुलीवाला’ का ‘ए मेरे प्यारे वतन’ हो या फिल्म ‘बंदिनी’ फिल्म का वो गीत हो जो पं. जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु पूर्व का साक्षी गीत बन गया ‘मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे’।
कव्वाली और अलग तरह की विशेष विधा के गायन में भी मन्ना डे साहब ने अनेक कीर्तिमान बनाए हैं। ‘बरसात की रात’ फिल्म की ‘कारवां की तलाश’ वाली कव्वाली हो या फिर फिल्म ‘दिल ही तो है’ का ‘लागा चुनरी में दाग हो’ या फिर फिल्म ‘तीसरी कसम’ की ‘पिंजरे वाली मुनिया’ हो उनकी हर अदा दिलकश और नाज-ओ-अंदाज से इस कदर पुरलुत्फ होती है कि सुनने वाला अश-अश कर उठता है।
शास्त्रय गायन में तो उन्होंने एक अलग ही मुकाम बनाया था भले ही उन्होंने उसे मो. रफी के साथ फिल्म ‘रागिनी’ में ओपी नैय~यर के संगीत में या शंकर जयकिशन के साथ फिल्म ‘तीसरी कसम’ में मुकेश या फिर कल्याण जी आनंद जी के संगीत निर्देशन में फिल्म ‘विक्टोरिया नं. 203’ में महेंदz कपूर तथा किशोर कुमार के साथ भी अपने जौहर दिखाए और गायकी के क्षेत्रा में नाम पैदा किया। फिल्म ‘तेरी सूरत मेरी आंखें’ में भी सचिनदेव बर्मन के निर्देशन में मो. रफी और मन्ना डे के गाये हुए गीतों में आज भी एक अघोषित और अदृश्य मुकाबला दिखाई देता है लेकिन जब निर्णय की बात आती है तो जज की कुर्सी पर बैठने वालों को यही कहना पड़ता है कि दोनों ही बेहद खूबसूरत और बेमिसाल हैं।
इसके अलावा भी मन्ना डे साहब के कुछ गायन वाकई बेमिसाल हैं, जैसे संगीतकार जयदेव के निर्देशन में डा. हरिवंशराय बच्चन की ‘मधुशाला’ और रौशन के निर्देशन में ‘नई उमz की नई फसल’ में मेघराज मुकुल की ‘सेनाणी’ तथा कपिल कुमार का गैर फिल्मी गीत ‘हंसने की चाह ने कितना मुझे रूलाया है’ आज भी मन्ना डे को अप्रतिम और लासानी सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। गोपाल सिंह नेपाली का ‘नरसी भगत’ का ‘दर्शन दो घनश्याम’ जो कि लगभग आज से 60 साल पुराना है और रवि के संगीत निर्देशन में हेमंत कुमार और सुधा मल्होत्रा के साथ मन्ना डे ने पेश किया है, आज भी उसी तरह ताजा और प्रभावशाली है, जिस तरह वह पहले उस वक्त जब यह गाया गया था। इस गीत की विशेषता यह भी है कि आस्कर अवार्ड विजेता फिल्म ‘स्लमडाग मिलेनियर’ में भी इसको पेश किया गया है।
संगीतकार वसंत देसाई तथा एसएन त्रिपाठी के संगीत निर्देशन में भरत व्यास रचित उन गीतों को जिसे मन्ना डे के स्वर ने ऐतिहासिक और अमर बना दिया है, जैसे ‘निर्बल से लड़ाई बलवान की’, ‘उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा’ और फिल्म ‘नवरंग’ के संगीत निर्देशक सी. रामचंदz के लिए गाया गया गीत ‘छुपी है कहां’ को कौन भूल सकता है और दोबारा सुनने की चाह किसको नहीं होती। फिल्मी गानों के शौकीन लोग के.एल. सहगल की तरह मन्ना डे के गीतों के भी उतने ही दीवाने हैं।
संयोगवश फिल्म जगत का सर्वश्रेष्ठ दादा साहब फाल्के अवार्ड मन्ना डे को वर्ष 2007 में मिला तो अभिनेता प्राण को इसी वर्ष दिया गया है, जो वे 3 मई को प्राप्त करेंगे।

Friday, April 5, 2013

तुलसी कृत रामचरित मानस की लोकप्रिय सुक्तियां


आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व संत शिरोमणि महाकवि तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना की थी जो उस समय के सभी रचनाकारों से अलग मानते हुए भगवान शिव द्वारा सत्यम् शिवम् सुंदरम् की मुहर लगाकर श्रेष्ठतम् कृति के रूप में प्रतिष्ठित हुई थी। इस ग्रंथ की महिमा का गान अनेक प्रकार से अनेक कथा वाचकों द्वारा तो किया ही गया है, साहित्य के क्षेत्रा में भी इसे अभी तक अनुपम और अद्वितीय माना गया है। सुलभ साहित्यिक अकादमी की पत्रिका ‘चक्रवाक्’ द्वारा अधिकृत उन 600 शोधार्थियों की सूची प्रकाशित की है जिन्होंने इस ग्रंथ का अध्ययन करके अपने द्वारा निर्धारित विषयों पर विभिन्न विश्वविद्यालयों से डाक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं।
इसके अतिरिक्त इस ग्रंथ का सर्वाधिक प्रभाव और महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि किसी भी विषय पर चर्चा के समय बड़े या छोटे समारोह में मानस की चौपाई उद्धृत किये बिना वह न तो पूरी मानी जाती है और न ही उसमें प्रामाणिक महत्व की उत्पत्ति हो पाती है।
आज की पहली सूक्ति हम लोकतंत्र के सबसे बड़े आधार मताधिकार पर चर्चित ऐसी चौपाई है जो आज भी सर्वाधिक चर्चा में रहती है, -
‘कोउ नृप होय हमें का हानि’
आप सभी को याद होगा कि यह उक्ति रामायण में दासी मंथरा द्वारा महारानी कैकई को अपने पुत्र भरत के लिए राजा दशरथ से राज्य मांगने हेतु उकसाते समय कही गई थी। आज भी लोकतंत्र में इस उक्ति का अर्थ सबसे अधिक इसलिए बढ़ जाता है कि जनता में जनता द्वारा ही राजा का चुनाव किया जाता है न कि राजशाही परंपरा के अनुसार वंश के अधिकार के अनुसार। यह सभी जानते हैं कि राजा दशरथ द्वारा राम को राजतिलक किये जाने की घोषणा की जा चुकी थी और उसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं, जब मंथरा ने अपने दिमाग की इस कुत्सित भावना का पूरे का पूरा ज्वार महारानी कैकई के दिल-ओ-दिमाग में भरने का प्रयास करते हुए असफल रहने पर अंतिम बाण के रूप में इसका प्रयोग किया।
और यह प्रयोग ऐसा सफल सिद्ध हुआ कि मंथरा भी चकित रह गई। इस संबंध में राष्ट्र कवि स्व. मैथिलीशरण गुप्त ने भी अपने महाकाव्य ‘साकेत’ में महारानी कैकई के पश्चाताप दर्शाते संदर्भ में बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है :
"क्या कर सकती थी मरी मंथरा दासी,
मेरा ही मन रह न सका निज विश्वासी।"
और वास्तव में दासी मंथरा का चलाया हुआ बाण इतना सटीक कारगर सिद्ध हुआ कि रानी कैकई का âदय जो इससे पहले तक टस से मस न होते हुए केवल राम और दशरथ के ही गुणगान में जुटा था, इतनी सी बात से कि "चेरी छांड़ि ना होउ रानी" अर्थात् देख लो रानी मैं तुम्हारे ही हित की बात कर रही हूं वरना मुझे क्या है? कोई भी राजा बने यानि राम या भरत मुझे तो कोई फर्क पड़ना नहीं है क्योंकि मैं तो दासी की दासी ही रहूंगी।
इस बात का रानी कैकई के दिल पर भी इतना तेज असर हुआ कि उसने उस पर पूरा विश्वास कर लिया कि वास्तव में ही यह दासी तो मेरे ही हित की बात कर रही है क्योंकि भरत के राजा बनने पर भी ये तो दासी ही रहेगी लेकिन मैं (कैकई) राजमाता बन कहलाउगी और उसके बाद का हाल हम सभी जानते हैं।
इस तरह की अनेक प्रसंगों से संबंधित रामचरित मानस की अर्धालियां अर्थात् चौपाई अलग-अलग रंगों और बिम्बों को व्यक्त करते हुए हमारी दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करती चलती हैं। ऐसा ही एक अन्य प्रसंग तुलसीदास जी ने जनकपुरी का प्रस्तुत किया है, जिसके लिए उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है, क्योंकि उन्होंने अवधी भाषा में रचित ये चौपाइयां निश्चय ही अनुपम और अद्वितीय बनी हैं, जैसे -
"गिरा अनयन नयन बिनु वाणी" 
अर्थात् वाणी देख नहीं सकती और नयन बोल नहीं सकते। तो फिर ईश्वर के उस रूप का वर्णन कैसे या किस प्रकार हो जिसे देखकर नयन और वाणी दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं।
ऐसे ही एक अन्य प्रसंग में जब जनकपुरी में अवध के दोनों राजकुमार (राम और लक्ष्मण) भ्रमण के लिए निकले हैं और पूरा शहर उन्हें देख-देख कर अपने-अपने शब्दों में उनकी मोहक और आनंददायक छवि का दर्शन लाभप्राप्त करके वर्णन करने का प्रयास कर रहे हैं, तब तुलसीदास जी ने केवल सोलह मात्रा की एक ही चौपाई में इतना प्रभावशाली काव्यांश रचकर इतिहास बना दिया - "जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।" 
और चमत्कार यह है कि इतनी बड़ी बात इतने सरल शब्दों में व्यक्त करते हुए न तो कहीं मात्रा भंग हुई और न ही कहीं शाब्दिक दोष पैदा हुआ।
धन्य हैं बाबा तुलसीदास और उनकी वह लेखनी जिससे उन्होंने इतने महान् ग्रंथ की रचना संपूर्ण करते हुए लिखा -
"हरि अनंत हरि कथा अनंता।"

Sunday, May 6, 2012


The 12138 Punjab Mail derails by 08 coaches near Sampla(Rohtak)- train cancelled-may 06

The 12138 Punjab Mail derails by 08 coaches near Sampla(Rohtak)


Chandigarh May 6 : 08 Coaches of Mumbai bound 12138 Ferozpur-Mumbai Punjab Mail derailed between Sampla-Kharawar station of Rohtak-New Delhi section near Rohtak in Haryana on Delhi Division of Northern Railway at 3.50 hrs this morning. The team of senior railway officials headed by Addl. General Manager Sh. B.P. Gupta and DRM Delhi Sh. Ashwani Lohani along with Medical Team and ART immediately rushed for the site of incident and supervised the relief and rescue operation. Railway Doctors at Rohtak immediately reached the site and attended to the injured.

As per the reports 24 passengers received minor and 03 passengers received grievous injuries  in the incident. All the injured passengers were shifted to PGI  hospital Rohtak. A team of doctors headed by  Chief Medical Superintend of Northern Railway Dr. Shukla camped at the hospital and assisted the Hospital Authorities. Most of the injured have since been discharged after the treatment railways has made special arrangements for the onward journeys of injured.

The unaffected front portion along with the passengers of the train left at 6.00 a.m and arrived at New Delhi by 8:00 a.m. from where it has already moved to its onward journey at 8:50 hrs. On arrival at New Delhi, the team of Northern Railway Officials headed by Chief Commercial Manager Dr. P.K. Goel along with Railway Doctors attended the passengers  at New Delhi Railway Station. The arrangements were made to serve water, tea and breakfast to the passengers. The team of Railway Doctors and para medical staff provided basic medicine etc. to a few injured passengers who decided to continue their journey. At New Delhi Railway Station, additional coaches were arranged and attached in place of the coaches derailed to accommodate all the passengers of the train to proceed on their onward journey. All the passengers were comfortably accommodated on their earmarked seats/berths.

Hon’ble Minister for Railways Sh. Mukul Roy himself monitored the the situation and spoke to Chairman Railway Board,  the hospital authorities in PGI Rohtak, DRM Delhi at site  and the loco pilot of the affected train. He instructed for the best possible treatment of the injured and also for maximum comfort of the passengers. Financial assistance has been arranged to the affected passengers.

Preliminary information indicates that the derailment has been caused prima facie because of rail fracture. Commissioner Railway Safety, Northern Circle, Sh. R.K. Kardam will hold the statutory enquiry into the accident.

In order to provide information Northern Railway has set up the following Telephone help lines:-

New Delhi                   :       011-23342954
                                                011-23341074

Delhi Jn.                     :       011-23962389

H. Nizamuddin            :       011-24359748
                                                011-24359735

The help lines have also been set up at all the major stations all along the routes served by the affected train.

Railway officers & technicians are working on war footing to make traffic fit & restore traffic. It is expected to restore normal traffic at 18:00 hrs. on up line and 22:00 hrs. on down line.



Annexures :

  1. List of trains cancelled/short terminated and diverted:attached.
  2. List of Grievous/ simple injured:attached 


Annexure-I

The following trains have been cancelled/partially cancelled/diverted due to the derailment:-

LIST OF TRAINS CANCELLED

2DJ/54032 JIND DELHI PASSENGER
4DJ/54034 JIND DELHI PASSENGER
2DR/74012 ROHTAK-DELHI PASSENGER
2TR/54002 ROHTAK-TILAK BRIDGE PASSENGER
14324 ROHTAK-NEW DELHI PASSENGER
4 DR/51904 ROHTAK-DELHI PASSENGER
6DJ/54024 JIND-DELHI PASSENGER
1DRB/54005 DELHI-ROHTAK-BHIWANI PASSENGER
1DR/54903 DELHI-ROHTAK PASSENGER
1DJ/54031 DELHI-JIND PASSENGESR
14323 NEW DELHI-ROHTAK
14519 DELHI-BATHINDA INTERCITY EXP.
1DJ/54035 DELHI-JIND-JHAKHAL PASSENGER
3DRB/54503 DELHI-ROHTAK BHIWANI
3DJ/54033 DELHI-JIND PASSENGER
1TR/54001 TILAK BRIDGE ROHTAK PASSENGER

LIST OF SHORT TERMINATED/SHORT ORIGINATED TRAINS

2DJ/54502 JHAKHAL-JIND-DELHI PASSENGER SHORT TERMINATED AT ROHTAK STATION
2DRB/54502 BHIWANI-ROHTAK-DELHI PASSENGER SHORT TERMINATED AT ROHTAK.
14520 BATHINDA-DELHI INTERCITY EXPRESS TRAIN SHORT TERMINATED AT ROHTAK.
12556 HISAR-GORAKHPUR EXPRESS SHORTORIGINATED FROM NEW DELHI AND CANCELLED BETWEEN HISAR-NEW DELHI.
14724 BHIWANI-KANPUR EXPRESS HAS BEEN SHORT ORIGINATED FROM DELHI AND CANCELLED BETWEEN BHIWANI-DELHI.
14723 KANPUR-BHIWANI KALINDI EXP SHORT TERMINATED AT DELHI AND WILL REMAIN CANCELLED BETWEEN DELHI-BHIWANI-DELHI.
12555 GORAKHPUR-HISAR GORAKHDHAM EXPRESS IS BEING  SHORT TERMINATED AT NEW DELHI AND WILL REMAIN CANCELLED BETWEEN NEW DELHI-HISAR-NEW DELHI.

LIST OF TRAINS DIVERTED DUE TO DERAILMENT

13008 TOOFAN EXPRESS DIVERTED VIA ROHTAK-PANIPAT-NEW DELHI
15610 AWADH ASSAM EXPRESS DIVERTED VIA JIND-PANIPAT- DELHI
19024 FEROZPUR JANTA EXPRESS DIVERTED VIA JIND-PANIPAT-NEW DELHI
12482 BATHINDA NEW DELHI INTERCITY DIVERTED TO RUN VIA JIND-PANIPAT-DELHI
16032 JAMMU TAWI-CHENNAI DIVERTED TO RUN VIA JIND-PANIPAT-NEW DELHI
14086 SIRSA EXPRESS DIVERTED TO RUN VIA ROHTAK-PANIPAT-NEW DELHI
341/54641 DELHI-FEROZPUR PASSENGER TO RUN VIA PANIPAT-JIND-JAKHAL-BATHINDA.
12481 DELHI-BATHINDA INTERCITY EXPRESS DIVERTED TO RUN VIA NEW DELHI-PANIPAT-JIND-JAKHAL-BATHINDA.
19023 MUMBAI-FEROZPUR JANTA EXPRESS DIVERTED TO RUN NEW DELHI-PANIPAT-JIND-JAKHAL-BATHINDA.
15609 GUWAHATI-LALGARH AWADH-ASSAM EXPRESS DIVERTED TO RUN VIA DELHI-PANIPAT-JIND-JAKHAL-BATHINDA.
14085 NEW DELHI-SIRSA EXPRESS DIVERTED TO RUN VIA PANIPAT-ROHTAK BHIWANI.

Annexure-II
LIST OF INJUREDS ---PUNJAB MAIL (6/5/2012)
Grievance Injury
1.       Ramesh Kumar 50M  S/0-Nathu Ram, Bhatinda Mob.-09815126063 From GJUT to DLI Coach S-10 # Scapula
2.       Nanhi Bai 50F W/0-Jagat lal, UP Mob.- 08953301794,  Coach GS From jind to lalitpur  # dorso lumber Spine
3.       Kapil 42M, S/0- OM Kapur, Bathinda Mob-09781042020 FROM ROK TO MTJ COACH GS  #Parietal Bone

SIMPLE  INJURED

4.       Prem Sagar, 63 S/0 Tarsem Lal, Agra Mob-09760039820, BTI To AGC Coach S-10
5.       Komal 40 yr F, AdharNagar, UP Mob.- 08953301794, LAMA( Left against Medical Advise )
6.       Jagat lal, UP 48M , Mob-08953301794,  JHI to LCT Coach S 10
7.       Vijay 37 M S/0-NathuRam, Firojpur  , LAMA
8.       Janak Rani W/o Joginder 68 F Jain Colony, Delhi, Mob- 09560674009 FZR to NDLS Coach S-9
9.        Prem Lata 52F w/0 Ashok Kumar, Model Town Rohtak-Left the Hosp.
10.    Ashok Kumar S/0-Kesar Das, Model Town, Rohtak-Left the Hosp.
11.    Harjinder Singh 58 M,S/0-Sewak Singh.Moga Punjab Mob.-09814183220 KKP to GWL Coach S10
12.    Surjeet Kaur 52 F W/0-Harijinder Singh Moga, Punjab Mob.-09814183220 KKP to GWL Coach S10
13.    Baljeet 27 M S/0-Harjinder, Moga, Punjab Mob.-09814183220 KKP to GWL Coach S10
14.    Sultan S/0-RijiRam, Ganganagar Mob.-09772766101 SGNR to DLI Coach GS
15.    Mohan Singh, RPF, S/0-Naseeb Singh,Amritsar Mob.-09815501932
16.    Anil S/0-NandLal, Kachaberi Road,Rohtak Mob.-9254725450, ROK to MTJ Coach
17.    Sunil 28 M S/0-Thakur Ram, GangaNagar Mob.-09782535117 SGNR to DLI Coach GS
18.    Subash 40 M S/0-Chandan Ram, Nehru Colony,Rohtak Mob.-9034797647 ROK to MTJ Coach
19.    Bimal Sharma 38F, Bhatinda Mob.-09815910661 BTI to DLI Coach GS
20.    Beena Yadav W/0-Shiv Kumar,Mainpuri UP Mob.-08427611884  FZR to AGC Coach S 10
21.    Surjeet Singh 40M S/0-Kartar Singh, Jilalabad, Fazilka Mob.-09876879311 FZR to DLI Coach GS
22.    Balbeer Kaur 38 F W/0- Surjeet Singh, Jilalabad, Fazilka Mob.-09876879311 FZR to DLI Coach GS
23.    Manju,34F W/0-Rakesh, Bhatinda Mob.- 09417184844 GJUT to DLI Coach S 10
24.    Rishpal 28M S/0-Gurmel Singh, Bhatinda Mob.- 09463332322 FZR to CSTM Coach S-9
25.   Sarabjeet Singh 35 F W/0-Jasvinder Singh, Bhatinda Mob.- 09915808169 FZR to CSTM Coach S-9
26.   Sudhir 32M, S/0-RK Gupta, Bhatinda Mob.-09876236626
27.   Satnam Singh TTE FZR
Annexure-II
LIST OF INJUREDS ---PUNJAB MAIL (6/5/2012)
Grievance Injury
28.   Ramesh Kumar 50M  S/0-Nathu Ram, Bhatinda Mob.-09815126063 From GJUT to DLI Coach S-10 # Scapula
29.    Nanhi Bai 50F W/0-Jagat lal, UP Mob.- 08953301794,  Coach GS From jind to lalitpur  # dorso lumber Spine
30.    Kapil 42M, S/0- OM Kapur, Bathinda Mob-09781042020 FROM ROK TO MTJ COACH GS  #Parietal Bone

SIMPLE  INJURED

31.    Prem Sagar, 63 S/0 Tarsem Lal, Agra Mob-09760039820, BTI To AGC Coach S-10
32.    Komal 40 yr F, AdharNagar, UP Mob.- 08953301794, LAMA( Left against Medical Advise )
33.    Jagat lal, UP 48M , Mob-08953301794,  JHI to LCT Coach S 10
34.    Vijay 37 M S/0-NathuRam, Firojpur  , LAMA
35.    Janak Rani W/o Joginder 68 F Jain Colony, Delhi, Mob- 09560674009 FZR to NDLS Coach S-9
36.     Prem Lata 52F w/0 Ashok Kumar, Model Town Rohtak-Left the Hosp.
37.    Ashok Kumar S/0-Kesar Das, Model Town, Rohtak-Left the Hosp.
38.    Harjinder Singh 58 M,S/0-Sewak Singh.Moga Punjab Mob.-09814183220 KKP to GWL Coach S10
39.    Surjeet Kaur 52 F W/0-Harijinder Singh Moga, Punjab Mob.-09814183220 KKP to GWL Coach S10
40.    Baljeet 27 M S/0-Harjinder, Moga, Punjab Mob.-09814183220 KKP to GWL Coach S10
41.    Sultan S/0-RijiRam, Ganganagar Mob.-09772766101 SGNR to DLI Coach GS
42.    Mohan Singh, RPF, S/0-Naseeb Singh,Amritsar Mob.-09815501932
43.    Anil S/0-NandLal, Kachaberi Road,Rohtak Mob.-9254725450, ROK to MTJ Coach
44.    Sunil 28 M S/0-Thakur Ram, GangaNagar Mob.-09782535117 SGNR to DLI Coach GS
45.    Subash 40 M S/0-Chandan Ram, Nehru Colony,Rohtak Mob.-9034797647 ROK to MTJ Coach
46.    Bimal Sharma 38F, Bhatinda Mob.-09815910661 BTI to DLI Coach GS
47.    Beena Yadav W/0-Shiv Kumar,Mainpuri UP Mob.-08427611884  FZR to AGC Coach S 10
48.    Surjeet Singh 40M S/0-Kartar Singh, Jilalabad, Fazilka Mob.-09876879311 FZR to DLI Coach GS
49.    Balbeer Kaur 38 F W/0- Surjeet Singh, Jilalabad, Fazilka Mob.-09876879311 FZR to DLI Coach GS
50.    Manju,34F W/0-Rakesh, Bhatinda Mob.- 09417184844 GJUT to DLI Coach S 10
51.    Rishpal 28M S/0-Gurmel Singh, Bhatinda Mob.- 09463332322 FZR to CSTM Coach S-9
52.   Sarabjeet Singh 35 F W/0-Jasvinder Singh, Bhatinda Mob.- 09915808169 FZR to CSTM Coach S-9
53.   Sudhir 32M, S/0-RK Gupta, Bhatinda Mob.-09876236626
54.   Satnam Singh TTE FZR

Friday, March 9, 2012

Qunba: खाशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हें

Qunba: खाशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हें: (संगीतकार रवि व गीतकार साहिर लुधियानवी ) हिंदी  फिल्म जगत में अपने समय के बेहतरीन जुगलबंदी के साथी रहे गीतकार साहिर लुधियानवी और संगीतकार रव...

खाशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हें

(संगीतकार रवि व गीतकार साहिर लुधियानवी )
हिंदी फिल्म जगत में अपने समय के बेहतरीन जुगलबंदी के साथी रहे गीतकार साहिर लुधियानवी और संगीतकार रवि का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ मिलता है। इन दोनों के मिलन से बने मधुर और दिल में उतरने वाले गीतों ने ऐसा तहलका मचाया था कि आज भी दिल-ओ-दिमाग में गूंजते हुए सुनाई पड़ते हैं और भुलाये नहीं भूलते। संयोगवश दोनों की जोड़ी बी.आर. चोपड़ा की फिल्मों में बनी हालांकि उसके बाहर भी एक-दो फिल्मों में उनके जौहर देखने को मिले लेकिन सबसे पहले फिल्म ‘गुमराह’ में जो दोनों सरेराह चले तो फिर कभी राह नहीं भूले और सन 1980 में 25 अक्तूबर को जब साहिर साहब इस जहां को अलविदा कह गये तब तक उनके जीने के बेहतरीन अंदाज सिखाने वाला गीत -
‘न मुंह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
गमों का दौर भी आये तो मुस्कुरा के जियो।’
वाकई लोगों को आत्म स्वाभिमान की प्रेरणा दे चुका था और यह गीत साहिर साहब ने फिल्म ‘हमराज’ के लिये लिखा था जो उस समय की इतनी बुलंद फिल्म साबित हुई कि लोग उसे बार-बार देखने और सुनने के लिये सिनेमा हाWलों में जाते थे। सुनने इसलिये कि इसमें गीत इतने मधुर और कर्णप्रिय थे कि सुनते ही बनते थे -
‘किसी पत्थर की मूरत से मोहब्बत का इरादा है
परस्तिश की तमन्ना है इबादत का इरादा है।’
और इतना ही नहीं उन्होंने इससे आगे भी लिखा -
‘तुम अगर साथ देने का वादा करो

Friday, January 6, 2012

Qunba: अन्ना जी असलियत को भी देखें

Qunba: अन्ना जी असलियत को भी देखें: फरवट फरीदाबादी नि:संदेह अन्ना हजारे और उनकी टीम देश से भzष्टाचार मिटाने के संकल्प को लेकर बहुत अच्छा काम कर रही है और वह प्रत्यक्ष-अप्रत्...

अन्ना जी असलियत को भी देखें

फरवट फरीदाबादी
नि:संदेह अन्ना हजारे और उनकी टीम देश से भzष्टाचार मिटाने के संकल्प को लेकर बहुत अच्छा काम कर रही है और वह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में सफल भी हो रही है लेकिन अपने मिशन के प्रति इतना अतिरेक भी अच्छा नहीं कहा जा सकता क्योंकि उनका बार-बार यह कथन कि अगर लोकपाल बिल पास हो गया होता तो श्री कुशवाहा और पहले श्री चिदंबरम आज जेल में होते।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि फिर जो जेल में जा चुके हैं जैसे सुरेश कलमाड़ी, ए. राजा, कनिमोझी और 2जी घोटाले में जेल जाने वालों मंे एक लंबी फेहरिस्त है तो वे किस एक्ट के अंतर्गत जेल गये हैं क्योंकि लोकपाल बिल तो पास ही नहीं हुआ है। इसका अर्थ यह हुआ कि देश में भzष्टाचार को मिटाने, घटाने, हटाने या उसके अंतर्गत उसको रोकने के लिए कानून तो यथार्थ और कारगर हैं कमी अगर है तो वह उन्हें इस्तेमाल करने वालों की है।
लोकपाल बिल पास न होने के लिए अन्ना और उनकी टीम भी उतनी ही जिम्मेवार है जितना की राजनैतिक दल और सत्तारूढ़ सरकार। कारण, अभी लोकपाल बिल बनना शुरू नहीं हुआ कि अन्ना और उनकी टीम ने रोज कोई न कोई तूफान राजनेताओं पर बरपाये रखा और बार-बार एक नई बात जोड़कर आंदोलन बढ़ाते गये। सवाल यह था कि जब लोकसभा के सत्र की तारीख निश्चित हो गई थी तो उससे पहले आंदोलन शुरू करना कहां की अक्लमंदी थी। इसकी बजाय अगर उन्होंने राजनैतिक दलों को अपने विश्वास में लिया होता तो वह अधिक कारगर और व्यावहारिक होता। उल्टे रोज-रोज धमकी देकर देश में चिंतन का वातावरण खराब करते रहे और जो भी सामने आया उसे ही धमकाते रहे, परिणाम सामने है कि बिना लोकपाल बिल पास हुए भी नेतागण और अपराधी लोग जेल जा रहे हैं और भार्श्ताचारी रोज पकड़े जा रहे हैं और सीबीआई जो केवल सरकार के अधीन बताई जाती है वह भी खूब सक्रिय है।
उधर, सत्तारूढ़ दल के पास इस समय तीन संसदीय कार्यमंत्री हैं श्री पवन कुमार बंसल और दो उनके सहयोगी श्री हरीश रावत और अभी पिछले दिनों मंत्रिमंडल में शामिल श्री राजीव शुक्ला, लेकिन तीन-तीन व्यक्तियों ने अपना होमवर्क शायद ठीक से पूरा नहीं किया या यूं कहिये कि उन्हें इतना अनुभव ही नहीं वरना बिल की यह हालत न होती जबकि वह लोकसभा से अच्छे बहुमत से पारित हुआ था। राज्यसभा में तो उसे केवल अनुमोदित ही किया जाना था वहां पर इतनी बड़ी लंबी-चौड़ी बहस का प्रावधान ही नहीं होना चाहिए था। खैर, अब विश्वास किया जाना चाहिए कि ये लोग भी इससे सबक लेते हुए भविष्य में सावधान रहेंगे और अपनी पिछली कमियों तथा बिल के विषय में जो अब पुन: लोकसभा में पहले पास कराना होगा तभी राज्यसभा में जायेगा, के लिए पहले से ही चौकस रहना सीख लेंगे। राज्यसभा में श्री राजीव शुक्ला द्वारा बयान दिया जाना भी बिल्कुल अजीब-सा था और अनावश्यक तो था ही, अप्रत्याशित भी था। पता नहीं क्या सोचकर उन्हें समय दिया गया जबकि यह बिल तो था ही सरकार की ओर से जिसके लिए वहां पहले से प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और संसदीय कार्यमंत्री श्री बंसल पहले से ही उसे रख चुके थे ऐसे में उनके द्वारा उसकी वकालत करना या उस पर अधिक बोलना जंचा नहीं और न ही तर्कसंगत कहा जा सकता है। बाद में संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री शुक्ला की भाषा को लेकर भी विपक्ष के अनेक सदस्यों ने कई आपत्तियां भी उठाईं और तीखे कटाक्ष भी किये। जाहिर है इस तरह की अनावश्यकता को टाला जा सकता था या किसी और वरिष्ठ नेता से वह सब कहलवाया जा सकता था जिसके लिए व्यर्थ में ही सत्तापक्ष को बगले झांकनी पड़ीं।
बहरहाल, अब सरकार ने इसे बजट के बाद पारित कराने को कहा है तो तब तक के पर्याप्त समय में आशा की जानी चाहिए कि सरकार अब हर कदम सोच-समझकर उठायेगी और अंतोगत्वा इसे पास भी करा लेगी क्योंकि तब तक अन्ना टीम का भी उत्साह शिथिल हो चुका होगा और लगभग देश की जनता भी काफी हद तक इसे भूल चुकी होगी। मतलब इतना हो-हल्ला तब नहीं होगा। वैसे लोकपाल बिल के बारे में एक बहुत बड़ा और दुष्प्रचार किया गया कि यह पिछले 42 सालों से पेश ही नहीं किया गया, विचार ही नहीं हुआ, बना ही नहीं लेकिन अब जो तथ्य सामने आये हैं उनके अनुसार यह बिल सन 1968 से लेकर 2011 तक नौ बार संसद में रखा गया। यह बात अलग है कि इस पर इतनी सार्थक बहस अथवा कार्यवाही नहीं हो पाई हो लेकिन इसके कारण दो-तीन बार सरकारें जरूर धराशायी हुई हैं।
एक बात और जो और भी अधिक महत्वपूर्ण है, जिसके लिए श्री अन्ना हजारे और उनकी टीम अत्याधिक आशांवित है वह यह है कि हमारे यहां दल-बदल विरोधी कानून 1984 में श्री राजीव गांधी की सरकार द्वारा पूर्ण बहुमत और एक स्वर से पारित कराया गया था तो क्या देश से दल-बदल का कलंक मिट गया है, खत्म हो गया है अथवा नेस्तनाबूद हो गया है, जी नहीं। न मिटा है, न घटा है, न हटा है वह भी भzष्टाचार की भांति अभी तक वहीं की वहीं डटा है बल्कि जितने भी उपाय किये गये उन सबका मुंह चिढ़ाता हुआ कुछ और Åपर ही उठा है, यकीन न हो तो हरियाणा में देख लीजिए, यहां भी कम दिखता हो तो उत्तर प्रदेश को ले लीजिए जहां एक ही दिन में कोई भी समर्थ और दमदार राजनेता यहां से वहां और वहां से चाहे जहां जाने में कुछ भी देर नहीं लगाता और न ही कोई दल इस बात के लिए चिंतित दिखाई दिया कि उस पर कल को दल-बदल को बढ़ाने का आरोप लगा तो वह क्या जवाब देगा।
ऐसा लग रहा है कि खुली मंडी सजी हुई और उसमें बोलियां लगाई जा रही हों और जिसको जो भावे वो उधर जावे या जो पहले गलत गया हुआ हो वह फिर इधर आवे, सब सुविधापूर्वक और सहजता से ऐसे हो रहा है जैसे कोई न तो कानून हो और न ही कोई नियम, आचार संहिता तो शायद आजकल वापस शब्दकोश में जा छिपी हो, ऐसे में कौन और किसको कोई हिदायत, शिकायत दे या करे भी तो किस मुंह से और कौन-से कानून के तहत।
ऐसे में कवि भरत व्यास द्वारा एक फिल्म में लिखे गये गीत के कुछ अंश याद आते हैं जो देश की दशा को दर्शाते हैं, यह कविता गांधी जी को संबोधित है, कवि कहता है -
‘प्रांत प्रांत से टकराता है भाषा पर भाषा की लात।
तू गुजरात मैं बंगाली कौन करे भारत की बात।।
तेरी बकरी ठगों ने ठग ली तेरी लाठी ले गये चोर।
मैं भी राजा तू भी राजा चारों ओर मचा है शोर।।’
शायद चुनाव आयोग ने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव करवाने के लिए इसे उत्तर प्रदेश में सात चरणों में योजना बनाई थी लेकिन जिस हिसाब से वहां शोर और धींगामस्ती का माहौल बना हुआ है उससे तो लगता है कि वहां इसे चाहे 14 चरणों में भी लागू करते तब भी यही हाल रहना था। ऐसे में नाम के उत्तर प्रदेश मगर असल में सबसे अधिक प्रश्न प्रदेश बना यह राज्य अब किस तरह से यह सब चुनाव संपन्न करायेगा और दल-बदल विरोध के कानून को कितने तीर झेलने पड़ेंगे और इसके बाद सत्तारूढ़ होकर कौन-सा दल उभरेगा यह तो केवल अब चार मार्च को ही मतगणना के बाद जाहिर होगा तब तक के लिए सबको ही एक ही आसरा है और वह है -
‘समझ झरोखे बैठ के जग का मुजरा देख।
जाको भी कहिये जरा उसका मुंह उतरा देख।।’
आइये ! हम भी तब तक जरा कोई और जरूरी काम ही निपटा लें, कम से कम हर पल की चिल्लपौ से तो जान सांसत में नहीं आयेगी।