Friday, March 9, 2012
Qunba: खाशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हें
Qunba: खाशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हें: (संगीतकार रवि व गीतकार साहिर लुधियानवी ) हिंदी फिल्म जगत में अपने समय के बेहतरीन जुगलबंदी के साथी रहे गीतकार साहिर लुधियानवी और संगीतकार रव...
खाशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हें
(संगीतकार रवि व गीतकार साहिर लुधियानवी )
हिंदी फिल्म जगत में अपने समय के बेहतरीन जुगलबंदी के साथी रहे गीतकार साहिर लुधियानवी और संगीतकार रवि का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ मिलता है। इन दोनों के मिलन से बने मधुर और दिल में उतरने वाले गीतों ने ऐसा तहलका मचाया था कि आज भी दिल-ओ-दिमाग में गूंजते हुए सुनाई पड़ते हैं और भुलाये नहीं भूलते। संयोगवश दोनों की जोड़ी बी.आर. चोपड़ा की फिल्मों में बनी हालांकि उसके बाहर भी एक-दो फिल्मों में उनके जौहर देखने को मिले लेकिन सबसे पहले फिल्म ‘गुमराह’ में जो दोनों सरेराह चले तो फिर कभी राह नहीं भूले और सन 1980 में 25 अक्तूबर को जब साहिर साहब इस जहां को अलविदा कह गये तब तक उनके जीने के बेहतरीन अंदाज सिखाने वाला गीत -
‘न मुंह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
गमों का दौर भी आये तो मुस्कुरा के जियो।’
वाकई लोगों को आत्म स्वाभिमान की प्रेरणा दे चुका था और यह गीत साहिर साहब ने फिल्म ‘हमराज’ के लिये लिखा था जो उस समय की इतनी बुलंद फिल्म साबित हुई कि लोग उसे बार-बार देखने और सुनने के लिये सिनेमा हाWलों में जाते थे। सुनने इसलिये कि इसमें गीत इतने मधुर और कर्णप्रिय थे कि सुनते ही बनते थे -
‘किसी पत्थर की मूरत से मोहब्बत का इरादा है
परस्तिश की तमन्ना है इबादत का इरादा है।’
और इतना ही नहीं उन्होंने इससे आगे भी लिखा -
‘तुम अगर साथ देने का वादा करो
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