Tuesday, November 15, 2011

Qunba: सी.ओ.पी.डी. : “वास रोग ‘सम्राट’

Qunba: सी.ओ.पी.डी. : “वास रोग ‘सम्राट’: कल सी.ओ.पी.डी. दिवस है। सी.ओ.पी.डी. यानि क्रानिक आWब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजज वह श्वास रोग है जिसे जन सामान्य में ब्रांकाइटिस के नाम से जानत...

सी.ओ.पी.डी. : “वास रोग ‘सम्राट’

कल सी.ओ.पी.डी. दिवस है। सी.ओ.पी.डी. यानि क्रानिक आWब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजज वह श्वास रोग है जिसे जन सामान्य में ब्रांकाइटिस के नाम से जानते हैं। इसमें श्वास नली क्षतिग्रस्त होकर संकरी हो जाती है जिससे वायु के आवागमन में प्रतिरोध होने लगता है। खांसी, कफ आना एवं श्वास में असहजता इसके मुख्य लक्षण हैं। यह अवस्था अथवा दमा रोग जैसी प्रतीत होती है किन्तु उससे कहीं अधिक घोर एवं घातक है। हमारे देश में एक करोड़ से अधिक लोग इस रोग से पीड़ित हैं। तम्बाकू का धूम्रपान के रूप में सेवन करने वाले व्यक्तियों को यह रोग होता है। भारत में ५ प्रतिशत पुरूष एवं ३.२ प्रतिशत महिलाएं इस रोग से ग्रस्त हैं।
सी.ओ.पी.डी. एक महामारी की तरह उत्तरोत्तर वृद्धि पर है। विश्व स्वास्थ्य संघ के आंकडे बताते हैं कि २०२० तक यह बीमारी मूर्घन्य घातक रोगों में तीसरे स्थान पर स्थापित हो जायेगी। âदयाघात एवं पक्षाघात के बाद यह मृत्यु का एक प्रमुख कारण बनने की होड़ में हैं। सी.ओ.पी.डी. की इस व्यापकता एवं घातक प्रकृति को संज्ञान में रखकर प्रतिवर्ष नवम्बर माह के दूसरे-तीसरे बुधवार को सी.ओ.पी.डी. दिवस मनाया जाता हैं।
धूम्रपान के अतिरिक्त वायुप्रदू’ण, स्वचालित वाहनों एवं फैक्ट्रियों से उत्सर्जित विषैली गैसे, फेफड़ो के संक्रमण आदि भी सी.ओ.पी.डी. के कारक है। विशेष तौर पर धूम्रपान न करने वाली भारतीय महिलाओं में रसोई में प्रयुक्त पारंपरिक इंधन के संपर्क में रहना इस रोग का एक मुख्य कारण है। सी.ओ.पी.डी. ३५-४० वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों में धीमी दर से प्रकट होती है। सामान्यता: इसके लक्षणों को बढ़ती उम्र से होने वाली कार्य-अक्षमता मानकर ध्यान नहीं दिया जाता। इसकी पहचान एवं उपचार जितनी जल्दी किया जा सके उतना ही प्रभावी बचाव एवं जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। सी.ओ.पी.डी. की पहचान के लिए एक सरल एवं वि”वस्त साधन है स्पाइरोमट्री। कंप्यूटर तकनीक द्वारा फेफडे की क्षमता का अनुमान कर इस बीमारी का उचित उपचार करना संभव है। धूम्रपान के आत्मघाती व्यसन से मुक्ति सी.ओ.पी.डी. जैसे महारोग से बचने का मुख्य उपाय है।
आज जबकि âदय संबंधी एवं स्ट्रोक संबंधी रोगों में तुलनात्मक कमी देखी जा रही है वही सी.ओ.पी.डी. अपने शिखर को छूने में अग्रसर है। सी.ओ.पी.डी. की घातक प्रकृति एवं निरंतर वृद्धि से विश्वभर के चिकित्सक चितिंत है। तथा इसे कम करने के उपाय गंभीर चिंतन का विषय है।